Sunday, January 26, 2014

आज Sir John Strachey अपनी कब्र में करवट ले रहे होंगे।

Strachey के अपनी कब्र में करवट लेने का कारण१३६ साल पहले Strachey ने हिंदुस्तान के लोगों और तत्कालीन हिंदुस्तानी शासकों कि अपार भिन्नताओं को  देखते हुए यह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत कभी European modern nation की तरह एक राष्ट्र बन सकता है और वह भी लोकतान्त्रिक राष्ट्र!!!

Strachey १९वीं शताब्दी के अंत में भारत की ब्रिटिश सरकार में भिन्न-भिन्न पदों पर रहे और वह Governor-General कि Council के सदस्य भी बन गए। उन्होंने १८८८ में यानि कि १३६ साल पहले, कैंब्रिज में भारत पर अपने अनुभवों पर आधारित कई लेक्चर दिए। इन लेक्चरस को एक किताब जिसका नाम था "India" के रूप में प्रकाशित भी किया गया। यह किताब उन अँग्रेज युवाओं के लिए काफी शिक्षाप्रद थी जो भारत में ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत नौकरी करना चाहते थे।

प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा अपनी किताब 'India after Gandhi' मैं लिखते हैं:

In Strachey's view, the differences between the countries of Europe were much smaller than those between the 'countries' of India. 'Scotland is more like Spain than Bengal is like the Punjab.'... 'the first and most essential thing to learn about india (is) — that there is not, and never was an India, or even any country of India possessing, according to any European ideas, any sort of unity, physical, political, social or religious.'

आज Strachey के आकलन को सिरे से नकारते हुए हिंदुस्तान ने एक मजबूत लोकतंत्र बन कर विशव के सामने अद्वित्य उदहारण प्रस्तुत किया है। इसके लिए आम आदमी और सेना का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है। हालांकि आम आदमी कभी-कभी कुछ नेताओं की स्वार्थ की राजनीती को नहीं पहचान पाया, मगर उसने ज़्यादातर शांतिपूर्वक तरीके से सरकारों को बदला है। सेना ने भी कभी-कभी देश में उत्तपन राजनितिक अस्थिरता को राजनेताओं को ही सुलझाने दिया और वह अपनी barracks से निकल कर सत्ता के गलियारों में दाखिल नहीं हुई।


LONG LIVE THE INDIA OF VIBRANT DEMOCRACY, PUBLIC ACCOUNTABILITY AND INCLUSIVE GROWTH!!!

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